Saturday, 4 April 2015

A Complete Introduction to Gemstone - "Red Coral" (Moonga Ratna ka Sampoorna Parichay)



This is my second post as a part of the introductory series on Gemstones. The first post in the series was on Pearl. This post is about Red Coral.  

What is Red Coral
coral is a gemstone which is ruled by Mars. It comes in many colors. It is also an organic gemstone like Pearl. That is why the chemical structure of Pearl and Coral is very similar. The main composition of Red Coral is Calcium Carbonate. It is also found in sea. Tiny living beings called Polyps keeps on secreting a substance which grows in trees and branches like formation. This is called Coral. Coral comes in many colors like brown, black, white, red, blue etc. Red colored Corals are most popular. Red Coral has been very popular since ancient world in many cultures to protect from evil eye and the like. 

Physical Properties of Coral:  
Mohs Scale: 3 - 4
Specific Gravity: 2.60 - 2.70
Birefringence: 0.160
Refractive Index: 1.486 - 1.658


Origin: 75% of worldwide production of Coral comes from Italy. Italian (Sardinian) Corals are considered to be the finest. Other countries like Japan, Taiwan, Australia also produce Corals. 

Natural Vs Imitation Corals: Natural Corals, as has been described above, come from the Sea. Imitation Corals can be made of things like bamboo, plastic, glass etc.  Natural Corals are always translucent or opaque. Natural Corals can be identified after measuring their physical properties as given above. Imitation Corals will not display the same physical properties (specific gravity, refractive index etc.) as of Coral.   
Fake dyed red bamboo Coral

How to Identify a Genuine Coral: As mentioned above, there are two main categories of Corals; Natural and Imitation (or Fake). Every stone has certain definitive properties like specific gravity, Moh's hardness, Refractive Index etc. All these parameters can be determined from tools like Refractometer (used to measure birefringence and refractive index), Polariscope etc. and matched with the actual values of Coral to see if it is a genuine Coral or the imitation. Apart from this Microscope can help in detecting the actual structure of the Coral.
When you go to a gemstone dealer to buy a gemstone, most of the time they say that the stone is natural and genuine, never believe them and get the stone tested from a reliable source or lab. 
The worrying factor is that now a days some gem labs have nexus with some corrupt jewelers and the labs give genuine certificates for fake stones to the jewelers. And then these jewelers sell fake "certified gems" in high rates to you.   
Gem Refractometer to Measure Refractive Index of a Stone
Polariscope for measuring Optic Character of Gemstones
Treatments on Coral: Unprocessed Coral is matte but treatment is done on it to give it a glossy finish and shine. Treatments are done to hide the cracks, to beautify the stone, to hide the impurities and inclusions within the stone. So, the buyers should be careful to identify these treatments. Red Corals are dyed in dark red color to give them that rich red feel. Astrologically such treated stones are not considered suitable. 

Who Should Wear it: Those who have Aries, Cancer, Scorpio or Pisces in their Lagna (First House) can wear Red Coral. 

scorpio lagna ascendant vrishchikacancer lagna ascendant karka
pisces lagna ascendant meen








How to Energize: I have already written a post on how to energize the stones. The post can be accessed by clicking on this link

Mantra to Energize Red Coral:  
Om Kam Kujaaye Namaha 
or 
Om Kraam Kreem Kraum Sah Bhaumaaye Namaha 
 
General Benefits: Red Coral is Mars's stone. Mars rules over land, court cases, enemies, brothers, health etc. Wearing a Red Coral gives benefit in all these areas. It also brings harmony in marital relations. It helps in alleviating blood disorders, weakness, lack of appetite, stomach disorders etc. Ash of Red Coral is also used to cure many diseases like the ones mentioned above. But be warned, stones should not be worn without the suggestion of an expert astrologer. If the stone is inappropriate as per your horoscope then it may harm you, if worn.

Contradictory Stones as per Vedic Astrology: Diamond, Blue Sapphire, Emerald, Hessonite and Cat's Eye should not be worn along with Red Coral.

Substitute Stones: Red Agate and Red Onyx.

Do's and Dont's: 1) Red Coral is very soft so it should be handled with care otherwise it may easily get scratches. Red Coral gives maximum benefit when worn with Mars Yantra.  

2) Red Coral gives complete benefit only when it is worn after energizing. 
3) After wearing Red Coral, it should not be removed even for a minute. Red Coral absorbs the rays of the sun and keeps on conserving the energy from the rays within your body. If Red Coral is removed even for a minute, the conserved energy gets immediately lost. If for some reason it needs to be removed, a new auspicious muhurta needs to be found and Red Coral needs to be charged again with mantras and then worn. 
4) Red Coral should be avoided to come in contact with harmful chemicals otherwise the color of the coral may get fade. 
5) Wear only natural Red Coral. Imitation Corals do not have any benefit. 
6) A Red Coral which has crack or black dots in it, should not be worn. It may give negative and depressing thoughts to the wearer. 

रत्नों के ऊपर मेरी सीरीज़ में यह दूसरी पोस्ट है मूंगा के ऊपर । मेरी पहली ब्लॉग पोस्ट मोती के ऊपर थी ।

मूँगा: मूंगा मंगल का रत्न है और यह कई रंगों में पाया जाता है । मोती की तरह मूंगा भी एक जैविक पदार्थ है और समुद्र में पाया जाता है इसीलिए इसकी रासायनिक संरचना मोती से बहुत मिलती जुलती है । मूंगे की रासायनिक संरचना में ज्यादातर कैल्शियम कार्बोनेट पाया जाता है । समुद्र जीव पाये जाते हैं जिन्हे पोलिप कहा जाता है वो अपने अंदर से एक पदार्थ छोड़ते रहते हैं । जोकि वृक्ष और उसकी शाखाओं के रूप में बढ़ता रहता है । इसी को मूंगा कहते हैं । 
मूंगा कई रंगों में आता है जैसे भूरा, नीला, काला, सफ़ेद, लाल इत्यादि । लाल रंग का मूंगा सर्वाधिक लोकप्रिय है । मूंगे का प्रयोग बहुत पुराने समय से बुरी नज़र और बुरे असर से बचने के लिए किया जाता रहा है । 

मूंगे के कुछ भौतिक गुण

मोह्स स्केल: 3 - 4
आपेक्षिक भार: 2.60 - 2.70
बायरफ्रिन्जेन्स: 0.160
अपवर्तनांक: 1.486 - 1.658

उत्पत्ति: संसार की कुल पैदावार का 75 प्रतिशत मूंगा इटली से आता है । सार्डीनिया इटली में एक ऐसी जगह है जहाँ के मूंगे सबसे अच्छे माने जाते हैं । इटली के अलावा ऑस्ट्रेलिया, ताइवान और जापान में भी मूंगे उत्पादित होते हैं । 

प्राकृतिक और कृत्रिम मूंगा: प्राकृतिक मूंगा जैसा की ऊपर बताया जा चुका है, समुद्र में पाया जाता है जबकि कृत्रिम मूंगा प्लास्टिक, बांस, कांच जैसी वस्तुओं से बनाया जाता है । प्राकृतिक मूंगा हमेशा पारभासी या अपारदर्शक होता है । प्राकृतिक मूंगे को उसके भौतिक गुणों के द्वारा पहचाना जा सकता है । कृत्रिम मूंगे के भौतिक गुण (अपवर्तनांक, आपेक्षिक भार इत्यादि) जब मापे जाते हैं तो वह प्राकृतिक मूंगे के भौतिक गुणों से भिन्न होते हैं इससे पता चल जाता है की मूंगा प्राकृतिक है या कृत्रिम । 


असली मूंगे की पहचान: जैसा की ऊपर बताया जा चुका है की मूंगा दो प्रकार का होता है ; प्राकृतिक और कृत्रिम। माइक्रोस्कोप से देखकर उनकी संरचना का पता लगाया जा सकता है और ये जाना जा सकता है की मूंगा प्राकृतिक है या कृत्रिम है । इसके अलावा रेफ्रक्टोमीटर, पोलरीस्कोप, डाइक्रोस्कोप (फोटो ऊपर दी गयी है) जैसे उपकरणों से मूंगे के भौतिक गुण मापे जाते हैं और पता लगा लिया जाता है की मूंगा असली है या नकली । 
आजकल कई रत्न बेचने वाले आपको कहेंगे की रत्न असली है मेरी आपको सलाह है की उनका विशवास न करें और किसी अच्छी लैब में या फिर किसी विशेषज्ञ से जाकर रत्न की जांच ज़रूर करवाएं ।  
चिंता का विषय तो यह है की आजकल कई लैब भी पैसों के लालच में आकर नकली सर्टिफिकेट बनाकर दे देती हैं और वही रत्न आपको ऊंचे दामों में बेचे जाते हैं । 

 मूंगे की ट्रीटमेंट: शुद्ध और बिना ट्रीटमेंट किया हुआ प्राकृतिक मूंगा चमकता नहीं है बल्कि चमक रहित होता है । बाद में इसपर ट्रीटमेंट की जाती है इसे चमकाने के लिए, अगर मूंगा  कटा फटा हुआ है या उसमे दाग हैं तो उनको छुपाने के लिए । इसीलिए मूंगा खरीदते समय बहुत सावधान रहना चाहिए । ट्रीटमेंट किये हुए रत्न ज्योतिष की दृष्टि से अच्छे नहीं माने जाते ।  


मूंगा किसे डालना चाहिए: मेष, कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न (फोटो ऊपर दी गयी है) वालों के लिए मूंगा अच्छा रहता है । 

मूंगे को कैसे अभिमंत्रित करना चाहिए: मैंने इसके बारे में पहले से ही एक पोस्ट लिखी हुई है । पाठक इस लिंक पर क्लिक करके उस पोस्ट को पढ़ सकते हैं । 

मूंगे को अभिमंत्रित करने का मंत्र

ॐ कम कुजाये नमः 
या फिर 
ॐ क्राम क्रीम क्रौम सह भौमाय नमः 

  मूंगा पहनने से लाभ: मूंगा मंगल का रत्न है । मंगल का ज़मीन जायदाद, अदालती झगड़ों, दुश्मनों, भाइयों, सेहत इत्यादि पर अधिकार है । मूंगा डालने से इन सभी क्षेत्रों में सहायता मिलती है । वैवाहिक संबंधों में भी यह स्थिरता लाता है । उच्च रक्तचाप, कमज़ोरी, मंदाग्नि, पेट की अन्य बीमारियों में भी मूंगा बहुत मददगार साबित होता है । मूंगे की भस्म बहुत सारी  बीमारियों में प्रयोग की जाती है । लेकिन ध्यान रहे कोई भी रत्न किसी विशेषज्ञ को अपनी कुंडली दिखाकर ही पहनना चाहिए । कुंडली के हिसाब से अनुपयुक्त रत्न डालने से फायदे के बजाये नुक्सान हो सकता है । 

मूंगे के विरोधी रत्न: हीरा, नीलम, पन्ना, गोमेद और लहसुनिया मूंगे के साथ नहीं डालने चाहिए । 

मूंगे के उपरत्न: लाल अकीक या सुलेमानी पत्थर । 

पथ्य और अपथ्य:  1) मूंगा बहुत नाज़ुक होता है अतः किसी ठोस पदार्थ से घिसने पर इस पर निशान पड़ सकते हैं इसलिए इसे ध्यान से रखना चाहिए और रगड़ से बचाना चाहिए । मूंगा को अगर मंगल यन्त्र के साथ पहना जाए तो बहुत फायदा होता है। 

2) मूंगा पूरा फायदा तभी देता है जब इसे विधि अनुसार अभिमंत्रित करके पहना जाए। 

3) मूंगा डालने के बाद एक मिनट के लिए भी उतारना नहीं चाहिए । मूंगा सूर्य की किरणों को  आपके शरीर में संचित करता रहता है जिससे शरीर के ऊर्जा चक्र संचालित होते हैं । अगर मूंगे को उतार दिया जाए तो यह सारी संचित की हुई ऊर्जा समाप्त हो जाती है और रत्न डालने का फायदा नहीं रहता । अगर किसी वजह से इसे उतारना ही पड़े तो फिर से अच्छा मुहूर्त देखकर पूरे विधि विधान से अभिमंत्रित करके ही डालना चाहिए अन्यथा फायदा नहीं होता । 

4) कोशिश करें की नुकसानदायक केमिकल्स मूंगे के ऊपर न पड़ें अन्यथा इसका रंग फीका पड़ सकता है । 

5) केवल प्राकृतिक मूंगा ही पहने । कृत्रिम मूंगा पहनने का कोई फायदा नहीं होता । 

6) ऐसा मूंगा जिसमे दरार पड़ी हो या काले धब्बे हों ऐसे मूंगे को नहीं पहनना चाहिए । इसके डालने से नुक्सान हो सकता है । 

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