Saturday, 4 April 2015

The Most Powerful Prayer of Planet Sun- Aditya Hridaya Stotra (Surya ki Sabse Prabhaavshaali Prarthna)





Dear Readers,

I am back with my latest post. It took me a lot of time to write this post due to it's length. (Android users who are watching this post through my app (Astro Junction App) on their smartphones, should click on the title of the post above to see the complete post.)
This post is on Aditya Hridaya Stotra which means heart of Sun. This is the most powerful prayer for planet Sun. If Sun is malefic in your birth chart or you are not getting good results corresponding to Sun. You can take help of this stotra. I have been personally benefited  by this Stotra. Please recite Gayatri mantra for 3 times before starting to chant this stotra and 3 times again after you finish it. As mentioned below in the stotra that the one who recites it daily is never troubled by enemies, is able to conquer them. Also, all worries, anxieties and fears vanish. It gives peace of mind, confidence and prosperity. There are other countless benefits of this stotra. The text in red below is the actual mantra(stotra) and the text in black is the Hindi and English translation.
You can read more posts related to planet Sun by clicking on the links below. 

प्रिय पाठकों 

मैं आज अपनी नयी पोस्ट के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूँ । इस पोस्ट को लिखने में मुझे काफी समय लगा क्योंकि यह काफी लम्बी पोस्ट थी । यह पोस्ट आदित्य हृदय स्तोत्र के बारे में है जिसका मतलब है सूर्य का ह्रदय । सूर्य देव कि यह सबसे प्रभावशाली प्रार्थना है । अगर आपको सूर्य ग्रह से सम्बंधित अच्छे परिणाम नहीं मिल रहे या यह आपकी कुंडली में अशुभ है तो आप इस मंत्र का सहारा ले सकते हैं । मैंने खुद भी इस स्तोत्र के बहुत अच्छे परिणाम अनुभव किया हैं । इस स्तोत्र को जपने से पहले ३ बार गायत्री मंत्र का जप करें और इस स्तोत्र को पूरा जपने के बाद फिर से ३ बार गायत्री मंत्र का जप करें । जैसा कि स्तोत्र में भी कहा गया है कि जो इस स्तोत्र को रोज़ जपता है उसके सारे दुःख, सब चिंताएं समाप्त हो जाती हैं । वो अजेय हो जाता है और शत्रु उससे परास्त हो जाते हैं । इसके जप से मानसिक शान्ति, आत्मविश्वास और समृद्धि मिलती है । इसके और भी कई अनगिनत फायदे हैं । नीचे लाल रंग में दिया हुआ मंत्र(स्तोत्र) है और जो काले रंग में दिया हुआ है वह हिंदी और अंग्रेज़ी रूपांतरण है। 
सूर्य से सम्बंधित नीचे दी हुई पोस्ट भी आप पढ़ सकते हैं ।     


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ततो युद्धपरिश्रान्तम् समरे चिन्तया स्थितम । 
रावणम् चाग्रतो दृष्टवा युद्धाय समुपस्थितम ॥ 1

Tato yuddh parishraantam samare chintaya sthitam |
raavanam chaagrato drishtva yuddhaaye samupasthitam || 1   


दैवतैश्च समागम्य दृष्टुमभ्यागतो रणम । 
उपागम्या ब्रवीद्राम-मगस्तयो भगवान् ऋषिः ॥ 2 

Daivataishcha samaagamya drishtumbhyagato ranam | 
upaagamyaa bravidraam-magastayo bhagwaan rishih || 2 


1&2 Beholding Sri Rama, standing absorbed in deep thought on the battle-field, exhausted by the fight and facing Ravana who was duly prepared for the war, the glorious sage Agastya, who had come in the company of gods to witness the encounter (battle) now spoke to Rama as follows: 

1,2 उधर श्रीरामचन्द्रजी युद्ध से थककर चिंता करते हुए रणभूमि में खड़े हुए थे । इतने में रावण भी युद्ध के लिए उनके सामने उपस्थित हो गया । यह देख भगवान् अगस्त्य मुनि, जो देवताओं के साथ युद्ध देखने के लिए आये थे, श्रीराम के पास जाकर बोले ।



राम राम महाबाहो शृणु गुह्यम सनातनम । 
येन सर्वानरीन वत्स समरे विजयिष्यसि ॥ 3 

Ram ram mahaabaaho shrinu goohyam sanaatanam | 
yen sarvaanreen vatsa samare vijayishyasi || 3 

3 'O Rama', 'O Mighty armed elegant Rama', listen carefully to the eternal secret by which, 'O my child', you shall conquer all your enemies on the battle field and win against your adversaries.

3 सबके ह्रदय में रमन करने वाले महाबाहो राम ! यह सनातन गोपनीय स्तोत्र सुनो ! वत्स ! इसके जप से तुम युद्ध में अपने समस्त शत्रुओं पर विजय पा जाओगे । 

आदित्यहृदयम् पुण्यम सर्वशत्रु-विनाशनम । 
जयावहम् जपेन्नित्य-मक्षय्यम परमम् शिवम् ॥ 4 

Aadityahridayam punyam sarvashatru-vinaashanam |
jayaavaham japennitya-makshayyam paramam shivam ||  4 

4 By Chanting the Aditya-Hridayam (the meditation of Sun in the heart ) which is very auspicious and highly beneficial, you will be victorious in battle. This holy hymn dedicated to the Sun-God will result in destroying all enemies and bring you victory and permanent happiness.


सर्वमंगल-मांगलयम सर्वपाप प्रणाशनम् । 
चिंताशोक-प्रशमन-मायुरवर्धन-मुत्तमम् ॥ 5 

Sarvamangal Maangalyam sarvapaap pranaashanam | 
chintashok prashman maayurvardhan muttamam || 5 


This supreme prayer is the best amongst auspicious verses, it will destroy all sins, dispel all doubts, alleviate worry and sorrow, anxiety and anguish, and increase the longevity of life. It is a guarantee of complete prosperity. 

4,5  इस गोपनीय स्तोत्र का नाम है 'आदित्यहृदय' । यह परम पवित्र और संपूर्ण शत्रुओं का नाश करने वाला है । इसके जप से सदा विजय कि प्राप्ति होती है । यह नित्य अक्षय और परम कल्याणमय स्तोत्र है । सम्पूर्ण मंगलों का भी मंगल है । इससे सब पापों का नाश हो जाता है । यह चिंता और शोक को मिटाने तथा आयु का बढ़ाने वाला उत्तम साधन है ।

रश्मिमन्तम समुद्यन्तम देवासुर-नमस्कृतम् ।
पूजयस्व विवस्वन्तम भास्करम् भुवनेश्वरम् ॥ 6 

Rashmimantam samudyantam devasur namaskritam |
pujyasva vivasvantam bhaaskaram bhuvneshvaram || 6 

6 Worship the sun-god, the ruler of the worlds and lord of the universe, who is crowned with effulgent rays, who appears at the horizon and brings light, who is revered by the denizens of heaven (devas) and asuras alike.


6 भगवान् सूर्य अपनी अनंत किरणों से सुशोभित हैं । ये नित्य उदय होने वाले, देवता और असुरों से नमस्कृत, विवस्वान नाम से प्रसिद्द, प्रभा का विस्तार करने वाले और संसार के स्वामी हैं । तुम इनका रश्मिमंते नमः, समुद्यन्ते नमः, देवासुरनमस्कृताये नमः, विवस्वते नमः, भास्कराय नमः, भुवनेश्वराये नमः इन मन्त्रों के द्वारा पूजन करो। 

सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मि-भावनः । 
एष देवासुरगणान् लोकान पाति गभस्तिभिः ॥ 7 

Sarvadevaatmako hyesh tejasvi rashmi bhaavanah |
esh devaasurganaan lokaan paati gabhastibhih || 7 

7 Indeed, He is the very embodiment of all Gods. He is self-luminous and sustains all with his rays. He nourishes and energizes the inhabitants of all the worlds as well as the host of Gods and demons by his Rays.

7 संपूर्ण देवता इन्ही के स्वरुप हैं । ये तेज़ की राशि तथा अपनी किरणों से जगत को सत्ता एवं स्फूर्ति प्रदान करने वाले हैं । ये अपनी रश्मियों का प्रसार करके देवता और असुरों सहित समस्त लोकों का पालन करने वाले हैं ।

एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः । 
महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपामपतिः ॥ 8 

Esh brahma ch vishnushch shivah skandah prajaapatih |
mahendro dhanadah kaalo yamah somo hyapaampatih || 8 

He is Brahma (the creator), Visnu (the Sustainer), Shiva (the destroyer), Skanda (the son of Siva), Prajapati (progenitor of human race), the mighty Indra (king of heaven), Kubera (the god of wealth and lord of riches), Kala (eternal time), Yama (the Lord of death), Soma (the moon god that nourishes), and Varuna (the lord of sea and ocean).


पितरो वसवः साध्या ह्यश्विनौ मरुतो मनुः । 
वायुर्वहनी: प्रजाप्राण ऋतु कर्ता प्रभाकरः ॥ 9 

Pitaro vasavah saadhyaa hyashvinau maruto manuh |
vaayurvahanih prajaapraan ritu karta prabhaakarah || 9 

Indeed, he is Pitris (ancestors, manes), the eight Vasus, the Sadhyas, the twin Aswins (physicians of Gods), the Maruts, the Manu, Vayu (the wind God), Agni (the fire God), Prana (the Life breath of all beings), the maker of six seasons and the giver of light. 


8,9 ये ही ब्रह्मा, विष्णु शिव, स्कन्द, प्रजापति, इंद्र, कुबेर, काल, यम, चन्द्रमा, वरुण, पितर , वसु, साध्य, अश्विनीकुमार, मरुदगण, मनु, वायु, अग्नि, प्रजा, प्राण, ऋतुओं को प्रकट करने वाले तथा प्रकाश के पुंज हैं ।

आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गभस्तिमान । 
सुवर्णसदृशो भानुर-हिरण्यरेता दिवाकरः ॥ 10 

Aadityah savita suryah khagah poosha gabhastimaan |
suvarnsadrisho bhaanur hiranyareta diwaakarah || 10 


10 He is the Son of Aditi (the mother of creation), the Sun God who transverser the heavens, he is of brilliant golden color, the possessor of a myriad rays, by illuminating all directions he is the maker of daylight. He is the all pervading, shining principle, the dispeller of darkness, exhibiting beautiful sight with golden hue.


हरिदश्वः सहस्रार्चि: सप्तसप्ति-मरीचिमान । 
तिमिरोन्मन्थन: शम्भुस्त्वष्टा मार्ताण्ड अंशुमान ॥ 11 

Haridashvah sahasraarchih saptsapti mareechimaan |
timironmanthanah shambhustvashtaa maartaand anshumaan ||  11 

11 He has seven horses yoked to his Chariot, shines with brilliant light having infinite rays, is the destroyer of darkness, the giver of happiness and prosperity, mitigator of the sufferings and is the infuser of life. He is the Omnipresent One who pervades all with immeasurable amount of rays.

हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनो भास्करो रविः । 
अग्निगर्भोsदिते: पुत्रः शंखः शिशिरनाशान: ॥ 12 

Hiranyagarbhah shishirastapano bhaskaro raveeh |
agnigarbho-o-diteh putrah shankhah shishirnaashaanah || 12 

12 He is Hiranyagarbha born of Aditi of a golden womb, He is Sisirastapana the destroyer of the cold, snow and fog, illuminator, Ravi, bearer of the fire and conch, He is the remover of ignorance and giver of fame.

व्योम नाथस्तमोभेदी ऋग्य जुस्सामपारगः । 
धनवृष्टिरपाम मित्रो विंध्यवीथिप्लवंगम: ॥ 13 

Vyom naathastamobhedi rigya jussaampaaragah |
dhanvrishtirapaam mitro vindhyaveethiplavangam || 13 

13 He is the Lord of the firmament and ruler of the sky, remover of darkness. the master of the three vedas Rig, Yaju, Sama, he is a friend of the waters (Varuna) and causes abundant rain. He swiftly courses in the direction South of Vindhya-mountains and sports in the Brahma Nadi.

आतपी मंडली मृत्युः पिंगलः सर्वतापनः । 
कविर्विश्वो महातेजाः रक्तः सर्वभवोद्भव: ॥ 14 

Aatapi mandali mrityuh pingalah sarvataapanah |
kaveervishvo mahatejaah raktah sarvabhavodbhavah || 14 

14 He, whose form is circular and is colored in yellow and red hues, is intensely brilliant and enegetic. He is a giver of heat, the cause of all work, of life and death. He is the destroyer of all and is the Omniscient one sustaining the universe and all action.

नक्षत्रग्रहताराणा-मधिपो विश्वभावनः । 
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन्नमोस्तुते ॥ 15 

Nakshatra-grah-taaraanaa madhipo vishvabhaavanah |
tejsaamapi tejasvi dwaadashaatmannamostute || 15 

15 He is the lord of the constellations, stars and planets and the origin of every thing in the universe. Salutations to Aditya who appears in twelve forms (in the shape of twelve months of the year) and whose glory is described in his twelve names. 

 10,11,12,13,14,15 इनके नाम हैं आदित्य(अदितिपुत्र), सविता(जगत को उत्पन्न करने वाले), सूर्य(सर्वव्यापक), खग, पूषा(पोषण करने वाले), गभस्तिमान (प्रकाशमान), सुवर्णसदृश्य, भानु(प्रकाशक), हिरण्यरेता(ब्रह्मांड कि उत्पत्ति के बीज), दिवाकर(रात्रि का अन्धकार दूर करके दिन का प्रकाश फैलाने वाले), हरिदश्व, सहस्रार्चि(हज़ारों किरणों से सुशोभित), सप्तसप्ति(सात घोड़ों वाले), मरीचिमान(किरणों से सुशोभित), तिमिरोमंथन(अन्धकार का नाश करने वाले), शम्भू, त्वष्टा, मार्तण्डक(ब्रह्माण्ड को जीवन प्रदान करने वाले), अंशुमान, हिरण्यगर्भ(ब्रह्मा), शिशिर(स्वभाव से ही सुख प्रदान करने वाले), तपन(गर्मी पैदा करने वाले), अहस्कर, रवि, अग्निगर्भ(अग्नि को गर्भ में धारण करने वाले), अदितिपुत्र, शंख, शिशिरनाशन(शीत का नाश करने वाले), व्योमनाथ(आकाश के स्वामी), तमभेदी, ऋग, यजु और सामवेद के पारगामी, धनवृष्टि, अपाम मित्र (जल को उत्पन्न करने वाले), विंध्यवीथिप्लवंगम (आकाश में तीव्र वेग से चलने वाले), आतपी, मंडली, मृत्यु, पिंगल(भूरे रंग वाले), सर्वतापन(सबको ताप देने वाले), कवि, विश्व, महातेजस्वी, रक्त, सर्वभवोद्भव (सबकी उत्पत्ति के कारण), नक्षत्र, ग्रह और तारों के स्वामी, विश्वभावन(जगत कि रक्षा करने वाले), तेजस्वियों में भी अति तेजस्वी और द्वादशात्मा हैं। इन सभी नामो से प्रसिद्द सूर्यदेव ! आपको नमस्कार है ।

नमः पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रए नमः । 
ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नमः ।। 16 

Namaha purvaaye giraye pashchimaayaadraye namaha |
jyotirganaanam pataye dinaadhipataye namaha || 16 


16 Salutations to the Lord of sunrise and sunset, who rises at the eastern mountains and sets in the western mountains. Salutations to the Lord of the Stellar bodies and to the Lord of daylight.

16 पूर्वगिरी उदयाचल तथा पश्चिमगिरी अस्ताचल के रूप में आपको नमस्कार है । ज्योतिर्गणों (ग्रहों और तारों) के स्वामी तथा दिन के अधिपति आपको प्रणाम है ।


जयाय जयभद्राय हर्यश्वाए नमो नमः । 
नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः ॥ 17 

Jayaaye jayabhadraaye haryashvaaye namo namaha |
namo namaha sahasraansho aadityaaye namo namaha || 17 

17 Oh! Lord of thousand rays, son of Aditi, Salutations to you, the bestower of victory, auspiciousness and prosperity, Salutations to the one who has coloured horses to carry him.

17 आप जयस्वरूप तथा विजय और कल्याण के दाता हैं । आपके रथ में हरे रंग के घोड़े जुते रहते हैं । आपको बारबार नमस्कार है । सहस्रों किरणों से सुशोभित भगवान् सूर्य ! आपको बारम्बार प्रणाम है । आप अदिति के पुत्र होने के कारण आदित्य नाम से भी प्रसिद्द हैं, आपको नमस्कार है ।

नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नमः । 
नमः पद्मप्रबोधाय मार्तण्डाय नमो नमः ॥ 18 

Namah ugraaye veeraaye saarangaaye namo namaha |
namaha padm prabodhaaye maartandaaye namo namaha || 18 

18 Salutations to Martandaya the son of Mrukanda Maharisi, the terrible and fierce one, the mighty hero, the one that travels fast. Salutations to the one whose appearance makes the lotus blossom (also the awakener of the lotus in the heart) 

18 उग्र, वीर, और सारंग सूर्यदेव को नमस्कार है । कमलों को विकसित करने वाले प्रचंड तेजधारी मार्तण्ड को प्रणाम है । 


ब्रह्मेशानाच्युतेषाय सूर्यायादित्यवर्चसे । 
भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः ॥ 19

Brahme shaanaachyuteshaaye suryaa yaadityavarchase |
bhaaswate sarvbhakshaaye raudraaye vapushe namaha || 19 

19 Salutations to the Lord of Brahma, Shiva and Vishnu, salutations to Surya the sun god, who (by his power and effulgence) is both the illuminator and devourer of all and is of a form that is fierce like Rudra.

19 आप ब्रह्मा, शिव और विष्णु के भी स्वामी है । सूर आपकी संज्ञा है, यह सूर्यमंडल आपका ही तेज है, आप प्रकाश से परिपूर्ण हैं, सबको स्वाहा कर देने वाली अग्नि आपका ही स्वरुप है, आप रौद्ररूप धारण करने वाले हैं, आपको नमस्कार है । 

तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने । 
कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषाम् पतये नमः ॥ 20 

Tamoghnaaye himaghnaaye shatrughnaayaa mitaatmane |
kritaghna ghnaaye devaaye jyotishaam pataye namaha || 20 

20 Salutations to the dispeller of darkness, the destroyer of cold, fog and snow, the exterminator of foes; the one whose extent is immeasurable. Salutations also to the annihilator of the ungrateful and to the Lord of all the stellar bodies, who is the first amongst all the lights of the Universe.

20 आप अज्ञान और अन्धकार के नाशक, जड़ता एवं शीत के निवारक तथा शत्रु का नाश करने वाले हैं । आपका स्वरुप अप्रमेय है । आप कृतघ्नों का नाश करने वाले, संपूर्ण ज्योतियों के स्वामी और देवस्वरूप हैं, आपको नमस्कार है ।

तप्तचामिकराभाय वह्नये विश्वकर्मणे । 
नमस्तमोsभिनिघ्नाये रुचये लोकसाक्षिणे ॥ 21 

Taptchaamikaraabhaaye vahnye vishwakarmane |
namastamo-o-bhinighnaaye ruchaye loksaakshine || 21 

21 Salutations to the Lord shining like molten gold, destroying darkness, who is the transcendental fire of supreme knowledge, who destroys the darkness of ignorance, and who is the cosmic witness of all merits and demerits of the denizens who inhabit the universe. Salutations to Vishvakarma the architect of the universe, the cause of all activity and creation in the world 

21 आपकी प्रभा तपाये हुए सुवर्ण के समान है, आप हरी और विश्वकर्मा हैं, तम के नाशक, प्रकाशस्वरूप और जगत के साक्षी हैं, आपको नमस्कार है ।

नाशयत्येष वै भूतम तदेव सृजति प्रभुः । 
पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभिः ॥ 22 

Naashyatyesh vai bhootam tadev srijati prabhooh |
paayatyesh tapatyesh varshatyesh gabhastibhih ||   22 

22 Salutations to the Lord who creates heat by his brilliant rays. He alone creates, sustains and destroys all that has come into being. Salutations to Him who by His rays consumes the waters, heats them up and sends them down as rain again.

22 रघुनन्दन ! ये भगवान् सूर्य ही संपूर्ण भूतों का संहार, सृष्टि और पालन करते हैं । ये अपनी किरणों से गर्मी पहुंचाते और वर्षा करते हैं ।  

एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठितः । 
एष एवाग्निहोत्रम् च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम ॥ 23 

Esh Supteshu Jaagarti Bhooteshu parinishthitah |
esh evaagnihotram ch falam chaivaagnihotrinaam || 23 

23 Salutations to the Lord who abides in the heart of all beings keeping awake when they are asleep. Verily he is the Agnihotra , the sacrificial fire and the fruit gained by the worshipper of the agnihotra.

23 ये सब भूतों में अन्तर्यामी रूप से  स्थित होकर उनके सो जाने पर भी जागते रहते हैं । ये ही अग्निहोत्र तथा अग्निहोत्री पुरुषों को मिलने वाले फल हैं । 

वेदाश्च क्रतवश्चैव क्रतुनाम फलमेव च । 
यानि कृत्यानि लोकेषु सर्व एष रविः प्रभुः ॥  24 

Vedaashch kratavashchaiv kratunaam falamev ch |
yaani krityaani lokeshu sarv esh ravih prabhooh ||  24 

24 The Sun God (Ravi) is the origin and protector of the four Vedas (Rig, Yajur, Sama, and Atharva), the sacrifices mentioned in them and the fruits obtained by performing the sacrifices. He is the Lord of all action in this universe and decides the Universal path. 

24 देवता, यज्ञ और यज्ञों के फल भी ये ही हैं । संपूर्ण लोकों में जितनी क्रियाएँ होती हैं उन सबका फल देने में ये ही पूर्ण समर्थ हैं ।  

|फलश्रुति|
|Falashruti|

एन मापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च । 
कीर्तयन पुरुष: कश्चिन्नावसीदति राघव ॥  25 

En maapatsu krichhreshu kaantareshu bhayeshu Ch |
Keertayan purushah kashchinna vasidati raaghav ||  25 

25 Listen Oh Rama! Oh Ragava, scion of the Raghu dynasty, any person, singing the glories of Surya in great difficulties, during affliction, while lost in the wilderness, and when beset with fear, will not come to grief (or loose heart).

25 राघव ! विपत्ति में, कष्ट में, दुर्गम मार्ग में तथा और किसी भय के अवसर पर जो कोई पुरुष इन सूर्यदेव का कीर्तन करता है, उसे दुःख नहीं भोगना पड़ता । 

पूज्यस्वैन-मेकाग्रे देवदेवम जगत्पतिम । 
एतत त्रिगुणितम् जप्त्वा युद्धेषु विजयिष्यसि ॥ 26 

Poojyasvain mekaagre devadevaam jagatpatim |
etat trigunitam japtvaa yudhheshu vija-yishyasi ||  26 

26 If you worship this lord of the universe, the God of all Gods, with concentrated mind and devotion by reciting this hymn (Aditya-Hridayam) thrice, you will emerge victorious in the battle.

26 इसलिए तुम एकाग्रचित होकर इन देवाधिदेव जगदीश्वर कि पूजा करो । इस आदित्यहृदय का तीन बार जप करने से तुम युद्ध में विजय पाओगे । 

अस्मिन क्षणे महाबाहो रावणम् तवं वधिष्यसि । 
एवमुक्त्वा तदाsगस्त्यो जगाम च यथागतम् ॥ 27 

Asmin kshane mahaabaaho raavanam tavam vadhishyasi |
evamuktvaa tada-a-gastyo jagaam ch yathaagatam ||  27 

27 O mighty armed one, you shall truimph over Ravana this very moment. After blessing Lord Rama thus, and predicting that He would slay (the demon) Ravana, sage Agastya took leave and returned to his original place.

27 महाबाहो ! तुम इसी क्षण रावण का वध कर सकोगे । यह कहकर अगस्त्यजी जैसे आये थे वैसे ही चले गए । 

एतच्छ्रुत्वा महातेजा नष्टशोकोsभवत्तदा । 
धारयामास सुप्रितो राघवः प्रयतात्मवान ॥  28 

etachhrutva mahaatejaa nasht shoko-o-bhavattadaa |
dhaaryaamaas suprito raaghavah prayataatmavaan ||  28 

28 Having heard this, that great warrior Raghava, feeling greatly delighted, became free from grief. His clouds of worry thus dispelled, the lustrous Lord Rama obeyed the sayings of sage Agastya with great happiness.With composed mind he retained this hymn in his memory, ready to chant the Aditya-Hridayam.

आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वा तु परम हर्षमवाप्तवान् । 
त्रिराचम्य शुचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान ॥  29 

Aadityam prekshya japtvaa tu param harshmavaaptavaan |
triraachamya shuchirbhootva dhanuraadaay veeryavaan ||  29 

29 Having performed Achamanam (sipping water thice) and being purified, Rama gazing at the sun with devotion, recited the hymn Aditya-Hridayam thrice, then that great hero Raghava was thrilled and lifted his bow.

रावणम प्रेक्ष्य हृष्टात्मा युद्धाय समुपागमत । 
सर्वयत्नेन महता वधे तस्य धृतोsभवत् ॥  30 

Raavanam prekshya hrishtaatmaa yudhhaaye samupaagmat |
sarvayatnen mahataa vadhe tasya dhrito-o-bhavat ||  30 

30 Lord Rama thus cheered, seeing Ravana coming to fight, put forth all his effort with a determination to kill him. (Ravana)

28,29,30 उनका उपदेश सुनकर महातेजस्वी श्रीरामचन्द्रजी का शोक दूर हो गया । उन्होंने प्रसन्न होकर शुद्धचित्त से आदित्यहृदय को धारण किया और तीन बार आचमन करके शुद्ध हो भगवान् सूर्य की और देखते हुए इसका तीन बार जप किया । इससे उन्हें बड़ा हर्ष हुआ । फिर परम पराक्रमी रघुनाथ जी ने धनुष उठाकर रावण की और देखा और उत्साहपूर्वक विजय पाने के लिए वे आगे बढे । उन्होंने पूरा प्रयत्न करके रावण के वध का निश्चय किया ।

अथ रवि-रवद-न्निरिक्ष्य रामम 
मुदितमनाः परमम् प्रहृष्यमाण: । 
निशिचरपति-संक्षयम् विदित्वा 
सुरगण-मध्यगतो वचस्त्वरेति ॥  31 

Ath ravi-ravad nnirikshya raamam
muditmanaah paramam prahrishyamaanah |
nishicharpati sankshayam viditvaa
surgan-madhyagato vachastvareti ||  31 

31 Then knowing that the destruction of Ravana was near, the Sun-God Aditya, surrounded by all the Gods in heaven, looked at Rama with delighted mind and exclaimed 'Hurry up' - 'Be quick'.

31 उस समय देवताओं के मध्य में खड़े हुए भगवान् सूर्य ने प्रसन्न होकर श्रीरामचन्द्रजी की और देखा और निशाचरराज रावण के विनाश का समय निकट जानकर हर्षपूर्वक कहा - 'रघुनन्दन ! अब जल्दी करो' । 

॥ इति आदित्यहृदयम् मंत्रस्य ॥ 
|| Iti aadityahridayam mantrasya ||

Thus ends the Mantra Aditya-Hridayam in praise of the Sun God recounted in the Yuddha Kanda of Valmiki Ramayana (the war chapter)

इस प्रकार भगवान् सूर्य कि प्रशंसा में कहा गया और वाल्मीकि रामायण के युद्ध काण्ड में वर्णित यह आदित्य हृदयम मंत्र संपन्न होता है ।

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